क्या दबा हे ताजमहल के निचे ? Is Tajmahal a Hindu Lord Shiv Mandir ?

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ताजमहल।  तमाम तरीके की कंट्रोवर्सी चल रही हे देश
में।  ये कहा जा रहा हे की ताज महल एक
हिन्दू मंदिर को तोड़ कर बनाया गया हे। तो क्या अब ताजमहल को तोड़ कर वहा फिर से
मंदिर बनाया जायेगा
? या फिर ताज महल को फिर से उसके पुराने नाम से
पुकारा जायेगा जो इसका नाम था तेजो महालय। 
क्या जिस तरीके से उत्तर प्रदेश में सेहरो के नाम चेंज कर दिए गए बदल दिए
गए उस तरह ताज महल का भी नाम चेंज होगा उसके इतिहास को पलट दिया जायेगा।  ये बात तो नियर फ्यूचर की नहीं लगती। ये दूर की
बात लगती हे। लेकिन चलिए समझते हे क्या हे असलियत और क्या दबा हे ताजमहल के
निचे। 

ये बात तो आप जानते ही होंगे और कई
सारे वीडियोस भी देखे होंगे और कई सारे न्यूज़ चैनल में भी देखा होगा की ताजमहल के
निचे जो कमरे हे उसे बंध रखा गया हे।
  उधर
कुछ तो हे।
  जिसे छिपा कर रखा गया हे।
परन्तु इस बात को आर्किओलॉजी ऑफ़ सर्वे ऑफ़ इंडिया जो पुरातत्व विभाग की पुराणी
इमारतों की देखभाल करने वाली संस्था हे भारत की उसका कहना ऐसा बिलकुल नहीं हे
लेकिन अंदर क्या हे उस इनफार्मेशन को बिलकुल भी डिस्क्लोसे नहीं किया जाता था। असल
में हे क्या उन् कमरों के अंदर। बेसमेंट के अंदर।
 
ताजमहल के निचे। दुनिया का सातवा अजूबा जिसके निचे हे एक बेसमेंट जिसे कभी
नहीं खोला जाता। आखिर क्या हे उसके अंदर।
 
क्यों ये सारी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती। 

जब इंटरनेट पे
इतनी सारी अफवा उड़ रही हे तो क्या सरकार का ये फ़र्ज़ नहीं बनता की वो जानकारी को
आउट करे। इतिहासकारो को क्या सामने आ कर ये को कंट्रोवर्सी चल रही हे पुरे देश में
की ताजमहल किसने बनाया
? किस चीज़ के ऊपर बना हे ताज महल ? क्या हे ताजमहल
के निचे
? उस चक्कर को
क्यों सॉल्व नहीं कर दिया जाता
? क्या हे इसके पीछे ? क्या इसके पीछे कोई षड़यंत्र हे ? या फिर ये वाकई
में एक रियलिटी हे की वहा एक मंदिर था।  एक
शिवालय था। एक शिव मंदिर था जिसका नाम तेजो महालय था और जिसे तोड़कर उसपे ताज महल
बनाया गया।

 

ये पूरी चीज़ ये
जो घटना ये जो कॉन्ट्रोवर्सी चल रही हे उससे सॉल्व करने की थोड़ी सी कोशिश हम भी
किये देते हे। मुग़ल शासन काल जो भारत में हुआ था। जो चीजे कही जा रही हे वो यही
कही जा रही हे की मुघलो ने भारत को सिर्फ लुटा था। अंग्रेजो ने ये देश को सिर्फ
लुटा हे। ये रियलिटी तो हे।  अगर बहार देश
का आक्रांता कोई देश पर आक्रमण करने के लिए आता हे उस देश को जित लेता हे उस देश
की प्रजा पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर देता हे तो नो डाउट वो उसे लूटेगा ही।  लेकिन जब एक राजा एक रियासत को बनाता हे तो उस
जगह को रहने लायक भी बनाता हे।  वहा के
आर्किटेक्चर को भी सुधारता हे वहा की सड़को को भी सुधारता हे वहा के पानी के
रिज़र्वोयर को भी सुधारता हे और व्यापर के संसाधन को भी खोलता हे क्योकि उसे वहा
रहना हे। उसे राज्य भी चलाना होता हे। सिर्फ ये नहीं की उसने सिर्फ एक देश के ऊपर
आक्रमण किया और सिर्फ लूटने का ही काम किया। सिर्फ मारने का ही काम किया उसे सिर्फ
ख़तम करने का ही काम किया वहा के लोगो को बस परेशान करने का ही काम किया। ये नहीं
किया जा सकता। ये पॉसिबल ही नहीं हे।  

किसी
भी देश में ऐसा हुआ ही नहीं हे की राजा वहा पहोचा और बस उसे लुटा और तबाही मचाई और
कुछ बनाया नहीं ये बात को नाकारा नहीं जा सकता। आज के तारीख में भी हमारे भारत में
ऐसी कई मुग़ल कालीन जगहे हे जिसका इस्तेमाल आज भी होता हे।
  अंग्रेज़ो को भी कोसा जाता हे।  नो डाउट उसने भारत को बहोत लुटा बहोत नुकसान
पहोचाया।
  एक अनुमान के अनुसार अंग्रेज़ो ने
भारत से १७०० सोने से भरे जहाज़ को लुटा।
 
लेकिन उनमे भी कुछ अच्छे लोग थे । 
हर चीज़ को हम वाइट और ब्लैक में तो नहीं नाप सकते उनमे भी कुछ ग्रे पट्टी
होती हे।
 

 

 अंग्रेज़ो की कितनी सारी रेल पटरी या आज भी हम
यूज़ कर रहे हे कितने सारे ब्रिज हम आज भी यूज़ कर रहे हे कितनी सारी सड़के हम आज भी
यूज़ कर रहे हे। ऐसी बहोत सारी सड़के हे जो मुग़ल शासन काल में बनायीं गयी बहोत सारी
चीज़ो को सेट किया गया।  किस तरीके से प्रजा
चलानी जानी चाहिए।  किस तरीके से शासन
चलाया जाना चाहिए। ये सब उसने एस्टब्लिश किया। उसी टाइम पे जब आर्किटेक्चर का
डेवलोपमेन्ट हो रहा था मुग़ल शासन में तब एक नायब आर्किटेक्चर का नमूना पेश किया
गया ताज महल के रूप में।

 

उसके पीछे की
स्टोरी ये हे की एक बड़ा आशिक़ था सारजाह जिसने अपनी मुमताज़ के लिए अपनी बीवी के लिए
जो उसकी बहोत सारी बीवी में से एक थी उसके लिए उसकी याद में एक आलीशान और यादगार
ईमारत तैयार की जिसका नाम था ताजमहल।  ये
बैक स्टोरी हे ताजमहल की। लेकिन मुग़ल शासन काल में ये जो पैसा उन्होंने भारत से
लिया या भारत से कमाया। उन्होंने आ के यहाँ पे इन्वेस्ट करते हुए ताजमहल का
निर्माण किया।  ये सही किया गलत किया ये हम
नहीं कह सकते लेकिन इतना जरूर कह सकते हे की भारत की आइडेंटिटी में शामिल हे
ताजमहल। और दुनिया के सात अजूबो में शामिल हे ताजमहल। इससे कोई इंकार नहीं कर
सकता।

 

ऐसी संगेमरमर की
ईमारत जो दिन में ३ बार रंग बदलती थी अपने ज़माने में जब हमारे सेहरो में ये
फ़ैक्टरिया नहीं खुली थी तब एग्रीकल्चर में ऐसे कीटनाशकों का उपयोग भी नहीं होता था
जो उड़ कर ऐसे संगेमरमर के पथ्थरो पर जमा हो जाता था। जब ऐसा नहीं हुआ करता था तब
वाकय में ३ बार रंग बदलती थी ये आलीशान ईमारत। जी हा ये वाकय में होता था। दुनिया
भर के बेष कीमती और बेहद महंगे रत्नो को जड़ा 
गया था ताजमहल में। जिसे अंग्रेज़ निकाल निकाल कर लूट लूट कर चले गए। ये रियलिटी
हे। अब जो बचा हे वो सिर्फ ताजमहल बचा हे। और उसका चमकता हुआ संगेमरमर। 

 

अब सवाल ये उठता
हे की उस काल खंड में जब न ट्रांसपोर्टेशन इतना डेव्लोपेड था
, नाही ऐसी मशीनो
की कोई खोज हुए थी जो आर्किटेक्टर में नकासी में इतनी मदद कर सके
? तो भाई उस ज़माने
में लोगो ने ऐसा कौन सा विज्ञानं लगाया जिससे उन्होंने ईरान से बड़े बड़े पथ्थरो को
मंगवाया।  संगेमरमर को बुलवाया
, उसके बाद उसने
ऐसी कोनसी टेक्निक यूज़ की कोनसी ऐसी शिल्पकारी इस्तेमाल की
? जिससे इतना
खूबसूरत इतना नायब ताजमहल का निर्माण किया।

 

अब आते हे उस
असली मुद्दे पर।  कई दावे हो रहे हे इस देश
में। आज की तारीख में इतिहास कारो ने अपने अपने तर्क रखे उन्ही में से एक इतिहास
कार हे राना सैफई।  उनका ऐसा कहना हे की आज
तक ताजमहल में ऐसे कोई भी सबूत नही मिले हे जिनसे ये साबित हो सके की वहा पर कभी
हिन्दू मंदिर हुआ करता था। बल्कि मंदिर की जगह पर वहा राजा जयसिंह की हवेली थी।
सारजाह ने उस हवेली को राजा जयसिंह से ख़रीदा जिसके दस्तावेज आज भी मौजूद हे।  राना सैफई के इस दावे पर इतिहासकार हरबंस
मुखिया भी अपनी सहमति देते हे। इतिहासकारो का कहना हे की जिस जगह पर आज की तारीख
में ताजमहल हे वहा पर राजा जयसिंग की हवेली थी। जिसे सारजाह ने खरीद लिया और उसके
ऊपर ताज महल बनाया लेकिन ऐसे भी दावे किये जा रहे हे जहा पर ताज महल हे वहा पर
पहले शिव मंदिर हुआ करता था यहाँ तक की शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने एक बार
इंटरव्यू में कहा था की ताजमहल की जगह पर पहले एक शिव मंदिर हुआ करता था। उन्होंने
ये भी दवा किया की कई पुराने लोगो ने शिव मंदिर को देखा भी हे। लेकिन एक पुराने
इतिहासकार हे जिन्हे कंट्रोवर्सियल कहा जाता हे जिनका नाम हे 
PN ओक।

 

उन्होंने १९८९
में एक किताब लिखी थी जिसका नाम था ताजमहल –
the truth स्टोरी। 
इस किताब में उन्होंने कॉन्ट्रोवर्सी की थी उन्होंने कहा था ताजमहल को तेजो
महालय कहा जाना चाहिए। उन्होंने अपनी किताब में लिखा था की ताजमहल की जगह पर एक
हिन्दू मंदिर हुआ करता था जिन्हे राजपुताना के राजाओ ने बनाया था। अपनी इस किताब
में उन्होंने आगे कहा की राजपुताना से युद्ध के बाद सरजहा ने इसको अपने कब्जे में
लिया और फिर यहाँ पर ताजमहल का निर्माण किया गया। 
लेकिन सच्चाय ये हे की आज इस बात को दावे से नही  कहा जा सकता की यहाँ पर पहले मंदिर था या राजा
जयसिंग की हवेली।

 

लेकिन इस हवेली
में अपको पर्शियन
,इस्लामिक और इंडियन सभी धर्मो की शैलिया देखने को मिलती हे। जो इसके निर्माण
पर एक बहोत बड़ा प्रश्न चिन्ह पैदा कर देती हे। लेकिन क्या इसकी सच्चाय के बारे में
कभी पता चल पायेगा
? देखा जाये तो इसका रहश्य इसके निचे छुपा हुआ
हे। कहा जाता हे जितना जमीन के ऊपर बना हे ताजमहल उतना ही जमीन के निचे भी हे। कहते
हे की ताजमहल के निचे कई तहखाने हे। जिनमे से आज तक एक को भी नही खोला गया। कहते
हे एक समय के बाद सरजहा ने इन सभी तहखानों को बांध कर दिया था। ऐसा माना जाता हे
की अगर इन् तहखानों को खोला गया तो सायद ताजमहल का रहस्य दुनिया वालो के सामने
होगा।  इन तहखानों में बेसुमार दौलत के साथ
और कई रहस्य उजागर हो जायेंगे।

 

लेकिन ये कब होगा
ये कोई नही कह सकता। इसके साथ साथ एक दावा ये भी किया जाता हे की जब ताजमहल बनकर
तैयार हुआ तब सारजाह ने अपने सैनिको से कहा की ताजमहल बनाने वाले सभी कारीगरों के
हाथ कटवा दिए जाये ताकि ऐसी बेशकीमती नगीने को दुबारा बनाया न जा सके। लेकिन
असलियत में क्या हुआ था कोईं नही जानता न इसके कोई सबूत हे। क्या वाकय में ऐसा हुआ
था
? यहाँ जुडी एक बात
सामने आती हे जो कही न कही सच भी लगती हे। 
ताजमहल को बनाने के लिए २०
,००० मजदूरों को लगाया गया था। इन् मजदूरों को
दुनिया भर से ढूंढ ढूंढ कर लाया गया था। लेकिन ताजमहल जब बनकर तैयार हुआ तब सरजहा
नही चाहते थे की ये मजदुर वापिस जाये अपने देश और इस तरह की कोई ईमारत बनाये इस
लिए उन्होंने  ताजमहल के करीब एक इलाके का
निर्माण किया जिसे आज के समय ताज गंज कहा जाता हे। 

 

कहा जाता हे की
सरजहा ने सारे के सारे मजदूरों को ताजगंज में बसने के लिए कहा। इनके साथ साथ उन
मजदूरों से वादा भी लिया की वो इस तरह की कोई ईमारत अब नही बनाएंगे। बदले में
उन्हें जिंदगी भर पैसे मिलते रहेंगे। लेकिन सच क्या हे
? ये कोई नही जनता। टिका टिपण्णी कर सकते हे सब
अपनी अपनी राइ दे सकते हे पर असल में क्या हुआ था और क्या था इस जगह पर वो तो जब
बेसमेंट के दरवाजे खुलेंगे तभी पता चलेगा। अपको क्या लगता हे
? क्या था ताजमहल
और क्या इस पर बहस होनी चाहिए
? क्या मुघलो और अंग्रेज़ो ने देश को सिर्फ लुटा
या कुछ दिया भी। अपने विचार कमेंट बॉक्स में सजा जरूर करे।  मिलते हे अगले नॉलेजफूल वीडियो में तब तक
वीडियो को  शेयर करे फेसबुक
, यूट्यूब और
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धन्यवाद्।

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